शनिवार, 25 जुलाई 2009

बस, अब तो मत मारो


घर भर को जन्नत बनाती है बेटियाँ॥!
अपनी तब्बुसम से इसे सजाती है बेटियाँ॥
पिघलती है अश्क बनके ,माँ के दर्द से॥!
रोते हुए भी बाबुल को हंसाती है बेटियाँ॥!





हंसती मुस्कुराती खिलखिलाती बेटियाँ
हर मुश्किल को हंस के सुलझातीं
बेटियाँ माँ बाप की आंखों का तारा बेटियाँ
उनके बुढापे का सहारा बेटियाँ
हर अल्फाज़ का इशारा बेटियाँ
हर खुशी का नजारा बेटियाँ



फूल सी बिखेरती है चारों और खुशबू,
फ़िर भी न जाने क्यूँ मार दी जाती है बेटियाँ





एक नहीं दो परिवारों की शान है बेटिया भाई के कलाई की पहचान है बेटिया

रक्षा बंधन पर भाइयो से कर रही गुहार बेटिया
बस, अब तो मत मारो